देशभर में रूई की उत्पादकता कम
कैरी ओवर स्टाॅक सबसे कम रहने का अनुमान
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मुंबई/ रूई बाजार में सर्तकता का रूख है। मिलों की खरीदी सीमित है, परंतु उन स्टाॅकिस्टों एवं किसानों की माल पर पकड़ मजबूत है, जिनके पास स्टाॅक है। रूई के उत्पादन को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। मुंबई में 23 अगस्त को रूई सलाहकार बोर्ड की हुई बैठक में इस आशय की जानकारी मिली है कि सीजन के अंत में कैरी ओवर स्टाॅक 28.46 लाख गांठ रहने वाला है। जानकारों का कहना है कि 2004-05 के बाद यह सबसे कम स्टाॅक है। इतना ही नहीं आगमी सीजन में कपास की उत्पादकता भी कम रह सकती है।
30 सितम्बर 2012 को रूई सीजन पूरी हो जायेगी। इससे पूर्व रूई सलाहकार बोर्ड की बैठक 23 अगस्त को मुबई में टेक्सटाइल कमिश्नर के कार्यालय में हुई। जिसमें रूई की संशोधित उत्पादन 353 लाख गांठ बताया गया। इसके पहले का अनुमान 347 लाख गांठ का था। निर्यात का अनुमान 127 लाख गांठ की रही है, जो पूर्व की तुलना में करीब 10 प्रतिशत अधिक है।
चांैकाने वाली बात यह है कि इस बैठक पर सभी की निगाहें टिकी हुई थी। देश में रूई के संशोधित अनुमान, मिलों एवं अन्य की रूई की खपत, रूई के आयात एवं निर्यात तथा देश में कम बारिश की स्थिति में रूई की पैदावार संबंधित अनुमानों के बारे में एक नई जानकारी मिलने की उम्मीद थी, परंतु बोर्ड ने 2012-13 मौसम के पूर्वानुमानों पर चुप्पी साध ली। अक्टूबर से शुरू होने वाले सीजन के बारे में कुछ भी अनुमान नहीं लगाया गया है।
टेक्सटाइल कमिश्नर श्री जोशी का ऐसा कहना है कि देश के कुछ क्षेत्रों में सूखे की स्थिति होने और कपास की बिजाई एवं उत्पादन का अनुमान लगाना फिलहाल मुश्किल है। भारत विश्व में रूई का दूसरा बड़ा निर्यातक देश है। पहले नंबर पर अमेरिका है। परंतु बाजार के जानकारों का मानना है कि देश में कपास की बीजाई के जो संकेत मिल रहे हैं, उससे साफ हो जाता है कि बाजार की सही तस्वीर एकाध माह बाद ही स्पष्ट हो सकती है। लेकिन गुजरात, एमपी और उत्तर भारत में रूई की उत्पादन संबंधित स्थिति कमजोर है।
फिलहाल जो आंकडें मिल रहे हैं, उसके अनुसार देश में इस समय कपास की बोआई 110 लाख हेक्टेयर में हुई है। गत वर्ष इसी समय में 122 लाख हेक्टेयर में बोआई हुई थी। इससे ऐसा लगता है कि देश में कपास की उत्पादकता निश्चित रूप से कम है और यह स्थिति कपड़ा उद्योग के लिए कठिन दौर से गुजरने वाला साबित हो सकता है। देश में कपास की पैदावार कम हो सकती है। गत वर्ष गुजरात में 100 लाख गांठ कपास का उत्पादन हुआ था, इस बार यहां 20 से 25 प्रतिशत कम उत्पादन का अनुमान है। उत्तर भारत में पंजाब और कर्नाटक की ओर पैदावार कम होने के अनुमान से समग्र देश में कपास का उत्पादन स्तर गिरता नजर आ रहा है।
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