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कपास की अनिश्चितता बनी टेक्सटाइल उद्योग के विकास में बाधा रिकार्ड उत्पादन फिर भी आयात पर निर्भरता

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नई दिल्ली/ देश में पिछले कुछ वर्षों से कपास का रिकार्ड तोड़ उत्पादन हो रहा है और विश्व स्तर पर भारत कपास उत्पादन में दूसरे नम्बर पर आता है लेकिन इसके बावजूद कपास की उपलब्धता और मूल्यों की अनिश्चितता ;भारी उतार-चढावद्ध टेक्सटाइल उद्योग के विकास में बाधा बना हुआ है और पूर्व वर्ष के दौरान कपास की ऐतिहासिक तेजी और फिर अप्रत्याशित मंदी को उद्योग आज भी भुगत रहा है। इसका मुख्य कारण देश में उत्पादन, निर्यात एवं भाव के आंकड़ों की समय पर निगरानी नहीं होना तथा समय रहते उचित निर्णय नहीं ले पाना है। वर्तमान सीजन में 353 लाख गांठ का रिकार्ड तोड़ उत्पादन हुआ लेकिन इस समय उद्योग को अपनी जरूरत के लिए आयात पर निर्भर रहना पड़ रहा है। कैरी फारवर्ड स्टाॅक कम रहने तथा अगली फसल का अनुमान नहीं लगने से इस समय असमंजस की स्थिति बनी हुई है। यही कारण है कि कपास सलाहकार बोर्ड अगले सीजन में कपास के उत्पादन और निर्यात का आंकलन नहीं कर पाया। पहली अक्टूबर 2012 से कपास का नया सीजन शुरू हो जाएगा लेकिन अभी तक अगली फसल के उत्पादन का अंदाजा नहीं लग पाया है क्योंकि जून-जुलाई में मानसून कमजोर रहा जिससे प्रमुख उत्पादक राज्य गुजरात में बिजाई कम हुई। दूसरे नम्बर के उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में बिजाई तो पूरी हुई लेकिन वर्षा की कमी की वजह से उत्पादकता कम रहने का अनुमान है। दूसरी बात यह भी है कि अगस्त मेें मानसून में सुधार हुआ है और बिजाई अब भी जारी है और अभी तक कुल रकबा कितना होगा, यह अंदाजा भी नहीं लग पाया है। 23 अगस्त तक देश में लगभग 111.53 लाख हेक्टेयर में बिजाई हो चुकी थी जो गत वर्ष से लगभग 6 लाख हेक्टेयर कम है। यही कारण है कि इस बार कपास सलाहकार बोर्ड ने 23 अगस्त को हुई अपनी बैठक में वर्ष 2012-13 के लिए कपास उत्पादन का अनुमान टाल दिया। वर्ष 2010-11 में कपास का उत्पादन 330 लाख गांठ हुआ था लेकिन इसका लाभ प्रतिस्पर्धी देशों को मिला और खामियाजा देश के उद्योग को भुगतना पड़ा। सरकार की अनिश्चित निर्यात नीति की वजह से कपास के भाव 63000 रुपए प्रति कैण्डी के स्तर पर पहुंच गए थे और बाद में भाव तेजी से गिरे जिससे कपड़ा उद्योग को इतना नुकसान हुआ कि वह आज तक उभर नहीं पाया। कपास वर्ष 2011-12 यानी की वर्तमान कपास वर्ष में 353 लाख गांठ कपास उत्पादन का अनुमान कपास सलाहकार बोर्ड का है जिसमें से 127 लाख गांठ कपास के निर्यात का अनुमान है जबकि पिछले साल 76 लाख गांठ कपास का निर्यात हुआ था। अब तक 126 लाख गांठ का निर्यात हो चुका है। बोर्ड के अनुसार इस बार क्लोजिंग स्टाॅक लगभग 28 लाख गांठ रहने का अनुमान है। सूत्रों का कहना है कि अगर अनुमान के मुताबिक उत्पादन में बड़ी गिरावट आती है तो कपास निर्यात को ओजीएल से बाहर किया जा सकता है। मौजूदा कपास वर्ष में देश में कपास का आयात 12 लाख गांठ रहने की संभावना है। यह आंकड़ा बढ़ सकता है क्योंकि वर्षा की कमी की वजह से अगली फसल में देरी हो सकती है और तब तक मिलों को आयात पर ही निर्भर रहना पड़ेगा। वर्तमान सीजन में कपास की कमी को देखते हुए देश की मिलों को गैर-पारंपरिक किस्म की कपास का आयात करना पड़ रहा है अन्यथा देश की मिलें केवल अतिरिक्त लाॅंग स्टेपल का ही आयात करती है जो लगभग 5 लाख गांठ होता है। इस समय वैश्विक बाजार के मुकाबले देश में कीमतें चार से छह सेंट ज्यादा है, इसलिए आयात में पड़तल है। कपड़ा आयुक्त ने कहा है कि अगले कुछ महीनों तक आयात जारी रहेगा।

                 

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