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रूई में ‘रूको एवं प्रतीक्षा करो’ की नीति

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मुंबई/ रूई बाजार में नरमी का वातावरण है। केंद्रांे पर मिलों की खरीदी कमजोर है। विश्व बाजार की नरमी का भी असर बाजार पर दिखाई दे रहा है। परंतु कपास उत्पादक केंद्रांे पर हाल की बारिश से खड़ी फसल को जीवनदान मिलने के समाचार है। तथापि देश में रूई का उत्पादन गत वर्ष की तुलना में लगभग 10 प्रतिशत तक कम रह सकता है। देश में कुल 113 लाख हेक्टेयर में कपास की बिजाई होने के समाचार है। देश के कपास उत्पादक केंद्रांे महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश और हरियाणा में कपास की बोआई गत वर्ष की तुलना में अधिक हुई है, लेकिन गुजरात में बोआई गत वर्ष के 29.50 लाख हेक्टेयर की तुलना में 23.40 लाख हेक्टेयर में किये जाने की जानकारी मिली है। गुजरात में कपास का उत्पादन 100 लाख गांठ के आस पास रह सकता है। नार्थ में नई रूई की आवक जल्दी ही शुरू हो सकती है। आगामी सप्ताह से छिटपुट आवक शुरू होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। कारोबारी की नजर बाजार की चाल पर टिकी हुई है। देश में उत्पादन कम होने की स्थिति में रूई के निर्यात को रोका जा सकता है। कारण सरकार देश की मिलों की रूई खपत को सुनिश्चित करने के बाद ही निर्यात को हरी झंडी दे सकती है। अतएव बाजार में रूको एवं प्रतीक्षा करो की नीति अपनाई गई है। नाॅर्थ की ओर हाजिर बाजार में नरमा का भाव राजस्थान, पंजाब एवं हरियाणा की ओर प्रति मन नीचे में 3670 से 3700 रूपये और ऊंचे में 3820 से 3870 रूपये रहे हैं। गुजरात की ओर कल्याण रूई का भाव 29000 रूपये तथा संकर 4 का 36000 से 36500 रूपये प्रति खंडी रहा है। महाराष्ट्र एवं मध्यप्रदेश की ओर फरधर रूई का भाव 34000 से 35000 रूपये तथा अच्छी क्वालिटी का 37000 से 37500 रूपये प्रति खंडी बोला गया है।

                 

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