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80 के दशक में गुजरात की ओर पलायन कर चुकी टेक्सटाइल उद्योगों को महाराष्ट्र में फिर से वापस लाने की कोशिश

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मंुबई/ महाराष्ट्र सरकार द्वारा हाल ही में घोषित टेक्सटाइल नीति को अभूतपूर्व समर्थन मिला है और पिछले सप्ताह ही 12000 करोड़ रूपये के टेक्सटाइल प्रस्तावों को सरकारी मंजूरी दी गई है। इतना ही नहीं 4000 करोड़ रूपये के निवेश प्रस्ताव को आशयपत्र भी दिया जा चुका है। जिंदल, जयदीप, ओसवाल, गिनी, श्याम इंडोफैब, मेहता स्पिनिंग जैसे समूह महाराष्ट्र में टेक्सटाइल उद्योग लगाने के इच्छुक है। महाराष्ट्र को टेक्सटाइल उद्योग में 40 हजार करोड़ रूपये के निवेश मिलने की खबर है। इसके चलते 12 लाख लोगों को राजगार मिलने की संभावना भी व्यक्त की जा रही है। नई टेक्सटाइल पाॅलिसी को मिले अच्छे रिस्पोंस को देखते हुए महाराष्ट्र के कपड़ा मंत्री आरिफ नसीम खान अगले सप्ताह में अहमदाबाद के दौरे पर जा रहे हंै। खुद आगे बढ़कर गुजरात के उद्योग दिग्गजों को न्योता दिया है। लेकिन इस हाई-प्रोफाइल दौरे से पूर्व ही मोदी सरकार ने एक रूपये प्रति यूनिट बिजली देने का पासा फेंककर इस मुहिम में रोक लगाने की कोशिश की है। गुजरात सरकार की एक रूपये नाममात्र की दर पर बिजली देने की ताजा घोषणा से महाराष्ट्र की टेक्सटाइल पाॅलिसी पर असर पड़ने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। परंतु महाराष्ट्र का टेक्सटाइल विभाग इसे चुनौती नहीं मानता है। स्वयं खान इस घोषणा से विचलित नहीं है। उनका कहना है कि मोदी सरकार ने सिर्फ स्पिनिंग उद्योगों को एक रूपये की दर से बिजली देने की घोषणा की है। जबकि महाराष्ट्र सरकार की टेक्सटाइल पाॅलिसी 950 करोड रूपये सालाना की सब्सिडी दे रही है। इसमें जिनिंग, प्रेसिंग, डाइंग, वीविंग यूनिटों से लेकर रेडीमेड उद्योगों तक सहूलियत दी जा रही है। इतना ही नहीं महाराष्ट्र की नीति में नये उद्योगों को 14 प्रतिशत कैपिटल देने की बात कहीं गई है, वहीं गुजरात में यह सब्सिडी केवल 7 प्रतिशत है। हम एमआईडीसी की जमीन देने का भी प्रयास कर रहे हंै। 80 के दशक में टेक्सटाइल मिलों की हड़ताल के बाद गुजरात की ओर पलायन कर चुके टेक्सटाइल उद्योग को महाराष्ट्र वापस लाने में कितनी सफलता मिलती है, यह तो समय बतायेगा।

                 

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