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महाराष्ट्र एवं गुजरात की टेक्सटाइल नीतिओं में मची हौड़ उद्योग के पलायन से अन्य राज्य चिंतित

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नई दिल्ली/ महाराष्ट्र के बाद गुजरात ने भी अपनी नई कपड़ा नीति घोषित कर दी है। इन दोनों राज्यों द्वारा अपने प्रदेश में निवेश बढ़ाने के लिए टेक्सटाइल उद्योग को कई आर्थिक प्रोत्साहन देने की घोषणा की है। इससे उन राज्यों की चिंता बढ गई है जहां से टेक्सटाइल उद्योग के पलायन का खतरा है। गुजरातः सरकार ने नई टेक्सटाइल नीति में 20 हजार करोड़ रुपए का निवेश एवं 25 लाख लोगों को रोजगार का लक्ष्य रखा है। यह नीति में खेती, फाइबर, फैब्रिक्स एवं विदेशी निवेश को ध्यान में रखकर बनाई गई है। गुजरात सरकार ने चीन, जापान एवं हाॅंगकाॅंग की कम्पनियों से विदेशी निवेश आकर्षित करने का लक्ष्य रखा है। गुजरात की नीति में स्पिनिंग क्षमता को 25 लाख स्पिंडल से बढ़ाकर अगले पांच साल में 50 लाख करना तथा राज्य के कपास उत्पादक क्षेत्रों में काॅटन स्पिनिंग और वीविंग को बढ़ावा देने का लक्ष्य है। राज्य में जिनिंग, स्पिनिंग, वीविंग, प्रोसेसिंग की प्रौद्यागिकी उन्नयन के लिए 5 प्रतिशत ब्याज सब्सिडी और रेडीमेड गारमेण्ट को प्लांट और मशीनरी खरीदने के लिए 7 प्रतिशत सब्सिडी देने का प्रावधान है। इसके अलावा गुजरात में कपड़ा उत्पादों को वैट से छूट दी गई है। स्पिनिंग और वीविंग को अगले पांच वर्ष तक एक रुपए प्रति यूनिट की राहत तथा कैपटिव पावर प्लांट के लिए लिग्नाइट सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया गया है। गारमेण्ट अपैरल पार्क को स्टेम्प ड्यूटी से छूट तथा पार्क में काॅमन इन्फ्रा के लिए 50 प्रतिशत अथवा 10 करोड़ रुपए की सहायता देने का प्रावधान है। महाराष्ट्रः पिछले दिनों घोषित महाराष्ट्र की टेक्सटाइल नीति को अभूतपूर्व समर्थन मिल रहा है। महाराष्ट्र नेे टेक्सटाइल उद्योग में 40 हजार करोड़ रुपए के निवेश तथा 12 लाख लोगों को इसकी वजह से रोेजगार का लक्ष्य रखा है जिसमें 10 हजार करोड़ रुपए का निवेश गुजरात से लाने का लक्ष्य है। इसके लिए महाराष्ट्र का प्रतिनिधिमण्डल गुजरात पहुंचा है। महाराष्ट्र सरकार का कहना है कि वे गुजरात की नीति से विचलित नहीं हैं क्योंकि गुजरात में केवल स्पिनिंग उद्योगों को एक रुपए की दर पर बिजली देने की पेशकश की गई है जबकि महाराष्ट्र सरकार अपनी टेक्सटाइल नीति में 950 करोड़ रुपए की वार्षिक सब्सिडी दे रही है। इसमें जिनिंग, प्रेसिंग, डाइंग, वीविंग यूनिटों से लेकर रेडीमेड गारमेंट उद्योगों को सुविधाए दी जा रही है। महाराष्ट्र की नीति में नए उद्योगों को 14 प्रतिशत कैपिटल देने की बात कही गई है जबकि गुजरात में यह सब्सिडी केवल सात प्रतिशत है। काॅ-आॅपरेटिव उद्योगों को 95 प्रतिशत लागत सरकार ने देने की पेशकश की है इसमें 45 प्रतिशत शेयर कैपिटल और 50 प्रतिशत कर्ज होगा। एमआईडीसी की जमीन भी देने की की कोशिश की जा रही है। महाराष्ट्र सरकार का दावा है कि उनकी नीति गुजरात से कहीं बेहतर है। बहरहाल महाराष्ट्र और गुजरात की टेक्सटाइल नीति के बाद वे राज्य चिंता में पड़ गए हैं, जिनके प्रदेश से टेक्सटाइल उद्योग के पलायन का खतरा है। इसलिए अब अन्य राज्य भी आने वाले दिनों में गुजरात और महाराष्ट्र की तर्ज पर अपनी टेक्सटाइल नीति बनाएंगे। उल्लेखनीय है कि ये दोनों राज्य कपास के सबसे बड़े उत्पादक हैं और अब तक इन दोनों राज्यों से कपास अन्य प्रदेशों को जाती रही है। पंजाबः प्राप्त जानकारी के अनुसार गुजरात सरकार की नई नीति की घोषणा ने पंजाब में स्पिनिंग यूनिटों के पलायन को लेकर खतरे की घ्ंाटी बजा दी है। बताया जाता है कि पंजाब सरकार ने एक उच्च स्तरीय समिति बनाई है जो अपने राज्य में टेक्सटाइल उद्योग के लिए रियायतों का पैकेज तैयार करेगी। इस समिति में पंजाब के टेक्सटाइल स्पिनरों के प्रतिनिधि भी होंगे। पंजाब में 38 स्पिनिंग मिलें हैं। पंजाब में इस समय जो रियायतें दी जा रही है, उनकी तुलना महाराष्ट्र और गुजरात की रियायतों से नहीं की जा सकती है। इसलिए पंजाब सरकार ने समिति को इन दोनों राज्यों द्वारा दी जा रही वित्तीय रियायतों एवं छूट की तुलना कर राज्य के लिए रियायतों का पैकेज तैयार करने को कहा है। पंजाब के उद्यमियों का कहना है कि अमृतसर लुधियाना टेक्सटाइल हब है। गुजरात में उद्योग स्थापित करने वाले उद्यमियों को ब्याज सब्सिडी, सस्ती बिजली, प्लांट व मशीनरी खरीदने के लिए वैट में रिफंड की सुविधा, आसान )ण सुविधा एवं उद्योग के लिए स्किल लेबर तैयार करने के लिए आने वाले खर्च की फीस का भुगतान करने की नीति में घोषणा की है। गुजरात की नीति से आकर्षित होकर प्रदेश के उद्योगपति अब गुजरात में निवेश करने के लिए गंभीरता से विचार कर रहे हैं। मध्य प्रदेश ः मध्यप्रदेश के टेक्सटाइल उद्यमी खासकर जो बाॅर्डर एरिया में हैं, महाराष्ट्र की ओर पलायन का मन बना रहे हैं। उद्यमियों का कहना है कि अपने राज्य में बिजली की दर महाराष्ट्र की तुलना में ज्यादा है। छूट कम होर्स पावर में है। कैपीटल सब्सिडी 25 लाख से ज्यादा नहीं है। 50 करोड़ से अधिक के लिए स्पेसिफिक आवेदन करना पड़ता है जिस पर मंत्रीमंडल विचार करता है। उद्यमियों के पलायन के खतरे को भंापते हुए मध्यप्रदेश सरकार की योजना महाराष्ट्र का माॅडल अपनाने की है। प्राप्त जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश भी टेक्सटाइल कंपनियों को और अधिक वित्तीय रियायतें देने की तैयारी कर रहा है। टेक्सटाइल कंपनियों को ब्याज दरों में राहत व पूंजीगत छूट देने का प्रस्ताव है। केन्द्र से मिलने वाली ब्याज राहत के अलावा राज्य सरकार भी ब्याज दरों में कुछ रियायत देगी, ऐसी बात चल रही है। बताया जाता है कि निवेशकों को मध्यप्रदेश की ओर आकर्षित करने के लिए राज्य सरकार औद्योगिक नीति में कई बदलाव करने जा रही है। इसके अंतर्गत टेक्सटाइल क्षेत्र के लिए विशेष पैकेज देने की योजना है। प्राप्त जानकारी के अनुसार उद्योग विभाग ने इस बदलाव की रूपरेखा तैयार कर ली है जिसे स्वीकृत कर आने वाले समय में घोषित किए जाने की संभावना है। राजस्थानः राजस्थान की कपड़ा मिलों ने भी विगत दिनों इस उद्योग को विशेष पैकेज देने की मांग की थी। कपड़ा उद्योग राजस्थान का प्रमुख उद्योग है और भीलवाड़ा की पहचान पूरे देश में वस्त्र नगरी के रूप में है। राजस्थान टेक्सटाइल एसोसिएशन ने विगत दिनों राजस्थान में भी कपड़ा क्षेत्र के लिए अलग से नीति बनाने तथा महाराष्ट्र और गुजरात सरकार की तरह राजस्थान में भी इस क्षेत्र को पैकेज देने की मांग की थी। एसोसिएशन का कहना था कि यदि पैकेज मिले तो राजस्थान के उद्यमी अपने राज्य में निवेश करने के लिए आकर्षित होंगे और प्रदेश से निवेश बाहर नहीं जा सकेगा और राज्य गुजरात और महाराष्ट्र से प्रतिस्पर्धा कर सकेगा। जानकारी के अनुसार हाल ही में सरकारी असहयोग एवं बढ़ती समस्याओं को देखते हुए पाली की प्रसि( टेक्सटाइल कम्पनी ‘महाराजा श्री उम्मेद मिल’ ने आगामी विस्तारीकरण प्रक्रिया को रोककर गुजरात व महाराष्ट्र की ओर पलायन का मन बना लिया है। अतः राजस्थान सरकार को भी अब सजग होते हुए टेक्सटाइल के लिए अलग की नीति बनानी चाहिए ताकि उद्यमी अन्य राज्यों की ओर जाने का मन बदल सके।

                 

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