रौनक लौटीः साइजिंग यूनिट्स शुरू नहीं होने से कामकाज बाधित
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इचलकरंजी/ आखिर दीपावली ने अपनी उत्साहभरी रोशनी से कपड़ा एवं रेडीमेड गारमेण्ट बाजार में लम्बे समय से छाया हुआ उदासीनता का अंधेरा मिटाकर आनन्द एवं उल्लास का उजाला कर दिया। दीपावली के तीन-चार दिन पहले से ही कपड़े की दुकानों में ग्राहकों की भीड़ देखी जा रही थी। हर ग्राहक अपनी पसंद के कपडे+ खरीदने में व्यस्त था। इससे व्यापारियों में भी उत्साह बढ़ गया था। जिस तेजी से ग्राहकी बढ़ी थी, उससे ऐसा बिल्कुल लगा नहीं था कि पिछले दिनों में मंदी थी। इस तेज ग्राहकी ने मंदी का नामोनिशान मिटाकर मंदी का रूख पलट दिया है। इसके चलते व्यापारी बेहद खुश है। अब उनका मानना है कि, आगामी शादी ब्याह के दिनों में भी ऐसे ही तेजी बरकरार रहेगी।
पिछले सालभर में कपड़ा व्यापारी, कपड़ा उत्पादक तथा कपड़ा उद्योग से जुुड़े सभी उद्यमी मंदी से परेशान थे। कपास तथा यार्न के अनिश्चित भाव, बढ़ते हुए व्यापार खर्चें, कारीगरों की कमी तथा कपडों की ग्राहकी न होने से बाजारों में से उदासीनता का अंधेरा हटने का नाम नहीं ले रहा था। साथ ही साथ आर्थिक तंगी के कारण व्यापारी एवं उद्यमी काफी परेशान थे। नवरात्र, दशहरा, इद त्यौंहारों में ग्राहकी कमजोर रहने से व्यापारी चिंतित थे। फिर भी उनका अनुभव तथा मजबूत हौसलों से सभी व्यापारी उद्यमी उम्मीदों पर कायम थे।
इस दीपावली त्यौंहार में साड़ी सलवार तथा लेडीज पहनावे के साथ जीन्स में अच्छी मांग थी। बाजार में महिलाओं ने साडि़यों के लेटेस्ट डिजाइन्स, लेटेस्ट एम्ब्राॅयडरी तथा वर्क वाली साडि़यां और बेहतरीन रंगों की साडि़यों को पसंद किया है। इसके साथ युवतियों को भी लेटेस्ट फैशन के वस्त्रों ने आकर्षित किया था। इन दिनों में विशेष रूप से रेडीमेड गारमेण्ट के कपड़ों की भारी मांग रही। अब आगामी शादी ब्याह के सीजन को मद्देनजर रखते हुए कपड़ा व्यापारी, एजेण्ट तथा उद्यमियों की तैयारियां शुरू हो गयी है।
हाल ही में इचलकरंजी की पावरलूम फैक्ट्रियां दीपावली छुट्टीयों के पश्चात् भी बन्द है। एक तरफ इन छुट्टीयों में अधिकतम कारीगर अपने-अपने गांव चले गये हैं, वे अभी तक वापस नहीं लौटे हंै। तो दूसरी तरफ दीपावली बोनस के मसले पर सन्तोषजनक हल न निकलने से साइजिंग एवं वार्पिंग कारीगरों ने काम बन्द का आन्दोलन जारी रखा है। जब तक साइजिंग की यह समस्या ठीक से नहीं निपटती तब तक यूनिट्स शुरू नहीं हो सकते हंै। बोनस के विषय पर साइजिंग एसोसिएशन तथा कामगार यूनियन अपने-अपने मुद्दों पर डटे हुए हैं। अब तक कई नेताओं ने तथा शासन के प्रतिनिधियों ने इन दोनों संगठनों में समझौता कराने हेतु काफी प्रयास किया लेकिन उनके हर प्रयास असफल रहे।
ताजा स्थिति में कुछ गिने-चुने पावरलूम यूनिट्स शुरू हो गये हंै। लेकिन जब तक साइजिंग यूनिट्स पूरी तरह से शुरू नहीं होते और पावरलूम के कारीगर वापस काम पर लौट नहीं आते तब तक पूरी क्षमता से यहां के पावरलूम कारखाने शुरू नहीं होंगे। इससे चलते आज ग्रे काॅटन तथा सिन्थेटिक कपड़ों का शाॅर्टेज है। देश के विभिन्न क्षेत्रों से हर प्रकार के कपडे+ में अच्छी डिमाण्ड है। लेकिन प्राॅडक्शन बन्द रहने से व्यापारी तथा उद्यमी डिमाण्ड पूरी कर नहीं सकते। कपड़ा उत्पादन बन्द रहने से स्थानीय यार्न बाजारों में भी कामकाज बन्द जैसा ही है। इसके चलते सूत के भाव स्थिर है। आज के सूत के भाव तथा बढ़े हुए उत्पाद खर्चों का तालमेल देखा जाए तो कपड़ा उत्पादक उद्यमियों को कपड़े का उचित भाव मिल सकता है, ऐसी स्थिति है।
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