मलमास से कपड़े में बे्रक लेकिन यार्न में तेजी
|
|
|
सूरत/ दीपावली पश्चात चली ग्राहकी को एक बार फिर ब्रेक लग गया है। कपड़ा बाजार समीक्षक श्री अरूण पाटोदिया के अनुसार उत्तरी भारत में सर्दी का प्रकोप बढ़ जाने से गर्म कपड़ों की बिक्री बढ़ी है। कपड़ा व्यापारी विधान सभा चुनाव की सरगर्मी देख रहे हैं। हालांकि भारतीय जनता पार्टी ने सूरत में कपड़ा उद्योग से जुड़े एक भी व्यक्ति को टिकने नहीं दिया है इस कारण कापड़ा उद्योग से जुड़े हिन्दी भाषी खपा है जबकि कांग्रेस ने कपड़ा व्यापार से जुड़े बालोतरा ;राजस्थानद्ध के मूल श्री धनपत जैन को मजूरा विधान सभा विस्तार से मैदान में उतारा है। हालांकि अधिकांश कपड़ा व्यवसायी गुजरात में सरकार तो नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की ही बनना चाहते हैं। लेकिन मजूरा विधान सभा में श्री धनपत को विजय होते देखना चाह रहे हैं। बहरहाल पुरा कपड़ा का चुनावी रंग में रंगा हुआ है। कपड़ा व्यापारी पुरे दिन हार-जीत की चर्चाओं में मशगुल है।
नाईटी उपयोगी प्रिण्ट कपड़ों में बालोतरा ने अपनी विशिष्ट पहचान बनाायी है। नाईटी कपड़ों की मांग केरला में बडे+ पैमाने पर है। 80%52 आधारित 3 मीटर कपड़ों की प्रोसियन प्रिण्ट नाइटी के पीस का इन दिनों 125 रूपए के भाव चल रहे हैं। इसी तरह थोडे+ सस्ते में इचलकरंजी का 74%52 ग्रे कपड़ा उपयोग में लाया जाता है। इस क्वालिटी से तैयार नाइटी पीस का भाव 103 से 105 रुपये तक है। जबकि सस्ती रेंज में मालेगांव उत्पादित 70%48 तथा 66%52 ग्रे का उपयोग होता है जिसके भाव 3 मीटर के पीस में प्रिण्ट कपड़ा टेबलों पर तैयार होता है। अमूमन एक गांठ में 240 से 300 पीस पैकिंग होते हंै।
प्राप्त जानकारी के अनुसार शिफाॅन 60 ग्राम, प्लेन 60 ग्राम तथा मौस जैसी ग्रे क्वालिटीयों में तकरीबन एक रूपया मीटर तक भाव घटे हंै। ग्रे कपड़ा एजेन्ट श्री अरविन्द अग्रवाल के अनुसार सामने मलमास होने से कपड़ा उत्पादकों ने ग्रे कपड़े की खरीदी को ब्रेक लगा दिया है। हालांकि वीविंग इकाइयां प्रारम्भ तो हो गयी है लेकिन मंदी को रोकने की दृष्टि से वीवर्सों ने उत्पादन कटौती कर रखी है। वे आधा-अधूरा उत्पादन ले रहे हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि दीपावली पर गांव गये मजदूरों की पहली प्राथमिकता अपने गांव में रहने की है। हालांकि गावों में प्राप्त रोजगार के समक्ष सूरत में तीन से चार गुना मजदूरी हासिल हो जाती है। लेकिन सूरत जैसे महंगे शहर में जवीनयापन करना हर किसी के लिए सम्भव नहीं है।
यार्न बाजारः सिन्थेटिक यार्न बाजार तेजीमय स्थितियों से गुजर रहा है। भावों की यह तेजी कपड़े व यार्न में कमजोर ग्राहकी के बावजूद आई है। यार्न में भाव वृ(ि अन्तराष्ट्रीय कारणोंं से बनी हुई है। फ्रण्टलाइन ने दिसम्बर माह के मेल में पीओवाय की तमाम किस्मों में प्रति किलो दो रूपए बेसिक बढ़ाए थे तथा अन्य सुपर कोर्स किस्मों में यह वृ(ि 1 रूपए किलो की थी, रिला ने एफडीवाय में 2 रूपए किलो, 74 डोनियर तक में 1 रूपए, 150/48 में व 250/48 में एक रूपए किलो व 180 डी.डी.एल.एस. में 150 रूपए के वृ(ि की, इसी तरह 30/18 ब्राइट में 2 रूपए व 50 सेमी डल में 1.50 तक की भाव वृ(ि की। दूसरी और इण्डोरामा ने भी पी.ओ.वाय की किए में प्रति एक किलो 2 रूपए की बेसिक बढ़ोतरी की है। यार्न उत्पादक श्री सुरेश बाफना के अनुसार यार्न में यह तेजी 2 से 3 रूपए किलो तक की है। इन दिनों सूरत सहित दक्षिण गुजरात की टेक्च्राइजिंग इकाई तो सम्पूर्ण रूप से प्रारम्भ हो गयी है। लेकिन माल की खपत 25 प्रतिशत तक नहीं है। इस स्थिति में आने वाले दिनों में यार्न का स्टाॅक सरप्लस हो सकता है। अगर ग्राहकी दमदार नहीं खुली तो वापस उत्पादन कटौती का सहारा लेना पड़ सकता है, टेक्च्राइजिंग उद्योग से जुड़े श्री अरूण हरलालका ने कहा कि भारत में फाॅरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेण्ट की सम्भावना बढ़ गयी है। ये कानून पारित हो जाने पर डाॅलर सस्ता हो सकेगा इससे यार्न के भाव घटने की संभावना बढ़ जायेगी।
|
|
 
 
 
|