इंटरनेशनल लेबल से रूबरू कराते स्वदेशी ब्रांड
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मुंबई/ पिछले कई वर्षों से भारतीय बाजार में युवाओं की पसंदगी में डेनिम का प्रमुख स्थान रहा हैं। परंतु अब इस स्थिति में बदलाव आ रहा है। कई विकल्प बाजार में मौजूद है। भारत के गार्मेंट बाजार पर कई विदेशी ब्रांडांे की नजर हंै। भारतीय युवाओं में इंटरनेशनल ब्राण्ड की चाहत को देखते हुए कई ब्रांड यहां अपना विस्तार करने में लगे हैं और कुछ अपनी पैठ जमाने की जुगाड़ में है। आमतौर पर ये ब्रंाड भारतीय इकाइयों की भागाीदारी में स्थानीय बाजार में अपने उत्पादों को उतारती है।
लंदन की क्लोदिंग कंपनी सुपरड्राय और रिलायंस रिटेल के बीच सहयोग होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। यदि ऐसा होता है तो बिक्री देश में इसका पहला प्रवेश होगा। इसकी रिलायंस ब्रांड के साथ स्थानीय भागीदारी करने की संभावना है। लंदन स्टाॅक एक्सचेंज में सुपर ग्रुप सूचीब( है। इसकी योजना आगामी 5 वर्षों में भारत में 20 स्टोर खोलने की है। सुपरड्राय का अपना निजी बाजार है। यह ब्रांड 30 से 45 वर्ष के पुरूषों और महिलाओं के लिए प्रख्यात बताया जा रहा है।
रेडीमेड गार्मेंट में रिटेल में भले ही कारोबार मंदा है। गार्मेंट कारखानों में उत्पादन पर पूरा जोर लगाया जा रहा है। वैसे भी कारखानों में कारीगरों की कमी है, साथ ही काॅटन बेस के ग्रे एवं फिनिश कपड़ों दोनों में अनिश्चितता रहने का भी असर उत्पादन पर है। आगे बिक्री वाले कई महत्वपूर्ण सीजन सामने हैं। इसके साथ ही स्कूल यनिफाॅर्म की सीजन है। जबसे स्कूल यूनिफाॅर्म का कारोबार कन्वर्टरों के हाथ में चला गया है, तब से स्कूल यनिफाॅर्म का कपड़ा कम तैयार माल अधिक बिकता है।
लेडीज आइटमों में लायक्रा अधिक चल रहा है। इसमें 20@30 और 30@40 काउंट में लायक्रा चलता है। इसे डाई कर लेडीज फ्री एक साइज में बनाया जाता है। कपड़ा उत्पादक इस कपडे+ को थोक में 150 रूपये मीटर के आसपास और थोक व्यापारी इसे गार्मेंट वालों को 200 रूपये मीटर के आसपास में बेचते हंै। एयरजेट में किसी भी मिल के पास 40 से ऊपर के काउंट में कोई माल नहीं है। ग्रे कपड़ा बनाने वाली सभी मिलों के पास फरवरी तक भरपूर आॅर्डर है।
डेनिम में आज से 6 महीने पहले की स्थिति नहीं रही है। स्थानीय बाजार के साथ इंटरनेशनल बाजार में भी डेनिम की मांग में गिरावट दर्ज की गई है। गार्मेंट में यार्न डाईड और पीस डाईड शर्टिंग की धूम मांग निकली है। हालांकि यार्न डाईड में चैक्स का चलन कम हो कर अब 30 से 40 प्रतिशत ही रह गया है। आगामी चार महीने पीस डाईड और साॅलिड डाईड का ही बाजार रहने वाला है। साॅलिड डाईड में 100 प्रतिशत लायक्रा बेस सूटिंग एवं शर्टिंग दोनों में अच्छे कारोबार होने की संभावना व्यक्त की जा रही है।
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