यूनिफार्म व किड्स वियर की मांग ः आग से माल स्वाहा
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कोलकाता/ कोलकाता के कपड़ा व्यापारियों के सामने फिर एक भयानक कपड़ा गोदाम में लगी आग ने कई सवाल खडे+ कर दिए। इस आग का असर बहुत दुर तक जाएगा। अभी चिन्तन यह हो रहा है कि इन आग की वारदातांे से कैसे निपटा जाए। आग कोई गोदामों या बाजारों में लगे तो नतीजा एजेण्ट, व्यापारियों एवं उत्पादकों सभी को भुगतना पड़ता है। नन्दराम मार्केट जैसी बड़ी इमारत में आग लगी जिसे हर साल याद किया जाता है लेकिन व्यापारियों को तन मन और धन से जख्म हुए वे अभी भी दर्द देते हैं। इसके बाद भी आग की ज्वालाओं ने कपड़ा बाजार का पीछा नहीं छोड़ा है। इर बार अफसोस जताया जाता है कि कुछ मुआवजे की बात होती है और फिर आग और बात दोनो बुझ जाती है। पिछले दिनों की इस घटना के चलते और काफी ठण्ड की वजह से बाजार में मन्दी छाई रही। मौसम का हाल काफी मनोबल कमजोर रहने वाला रहा। समूचे पूर्व भारत में शीत के नए रिकाॅर्ड बनते रहे। जिसका असर हाॅलसेल और फुटकर दोनों व्यवसाय पर पड़ा है। रिटेल में सीमित आइटमों की बिक्री रही। विवाह की सीजन की खरीददारी उम्मीद को पूरा नहीं कर सकी। गर्म कपड़ों की सीजन अब अन्तिम चरण में दिख रही है। स्टोक का बोझ नहीं पड़े इस वजह से जरूरत के आधार पर व्यापारी माल खरीद रहे हैं। साड़ी और सलवार कमीज में हल्की ग्राहकी है। जबकी स्कुल यूनिफाॅर्म और किड्सवियर ने स्थिति को सम्भाला हुआ है। किड्सवियर में रेडीमेड और गारमेण्ट में ही मांग बनी हुई है। जिन्स और टीशर्ट का बाजार अब ज्यादा मजबूत होते हुए दिख रहा है। अहमदाबाद, अम्बाला की मिलों के ग्रे और फिनिश दोनों में अच्छी मांग निकलने की अच्छी सम्भावना है। बडे+ पैमाने पर कपड़ा आ रहा है। आगे इचलकरंजी का कपड़ा भी वोल्यूम के साथ बिकेगा।
बड़े हाॅलसेल बाजार और रिटेल मार्केट में काफी नरमी है तो सिले सिलाये कपड़ोें की मांग स्थिर है। विशेष रूप से स्कूल यूनिफाॅर्म के बडे+ आॅर्डर निकलने की वजह से गोरखपुर के प्लेन माल की डिमाण्ड अच्छी है। यहां रेतों का भंवर अभी भी लक्षा हुआ है। दाम कम होने की उम्मीद अभी भी नहीं दिख रही है बल्कि दाम अभी भी बढ़ते जा रहे हैं, इसकी कई वजह है। एक माल की आपूर्ती कम हो रही है। गोरखपुर और कोलकाता के बीच ट्रान्सपोर्ट की भी समस्या उलझी हुई है। उत्पादन खर्च में कटौती की अब उम्मीद भी नहीं करनी चाहिए और डिमाण्ड के मुकाबले जो कपड़ा कम समय में चाहिए वह उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। कटरों के हिसाब से देखा जाए तो मोटियाबुर्ज में सभी क्वालिटी के मालों की मांग आगे और भी कुछ दिनों तक बनी रहेगी। अगर कोई कम दाम का वैकल्पिक कपड़ा भी बाजार में आता है तो उसको आजमाया जा सकता है।
व्यापार में बकाया राशि को छोड़ कर बाकी सभी बाते भुला दी जाती है। लेकिन यह याद रखना चाहिए कि थोड़ी सी सावधानी, थोड़ा खर्च बढ़ाकर भी पूंजी का नाश करने वाली आग की लपटों से बचा जा सकता है।
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